سه شنبه ۱۲ فروردين
اشعار دفتر شعرِ سلیمان حسنی شاعر سلیمان حسنی(حامی)
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غم وتنهایی محصولِ مغرور، در نگفتن حرف دل است.
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اشک میبارد زچشم تا ابد بارانیام
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تو تنها محرم ناگفتههای این دل تنگی
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شـادمـان باش ، بهــارِ دلِ حـامی آمد
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کــو خســـرو آوازی ، کــو دلبــــر طنـــازی
تاکوککُندسازی،افسوسکهانگاراست
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دل ما با دلِ دلدار ، جهـــانی دارد
شهدناباستعجبشرحوبیانیدارد
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کسندیدهاستزِمندیدهٔبارانی را
دلِ پُر غصــهٔ این روزِ پریشـانی را
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گرمتر ازعشق سوزانت کجاست
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ناز نگهت مخزن الماس وعقیق است
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تو ای تمـــــامِ هستیَم
بهزلفِخویشبستیَم
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برسینهیمنچنگ میزد
شیطان دلِ رخ آسمــانی
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سخنخوباستبا دلدارباشد
سرت بر شــــانههای یـــار باشد
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تو ومنِ بیعشق،دگر ماشدنی نیست
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در نــم نـــمِ باران و نســیمی دلکــش
گیسویپُر وسیاه٬خیلیخوباست
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یک نظر یاگوشهٔ چشمی کفایت میکند
تاکه حامیگویدازپنهانواز پیدایعشق
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تا برویَد آدمی
یا آدمیت
درکویر
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من ویک دل بیقرار و سکوت....
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ناگفته غمیکهدر دلِ ماست
از رنگِ رخِ پریــــده پیداست
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کاشکی بود یکی دردِ مرا میفهمید
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هرکسی نامردمی سرزد از او
در میان عاشقــان رســوا شود
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شد همدم تنهـــــایی من اشکِ شبــانه
وقتیکهدلمخستهزِغوغایتومیشد
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حسین٬تنهاو بی کَس٬بی برادر
هزاراناُفبراینگردون و اختر
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فکرواندیشهدگرنیستملاکسنجش
جیبها حدنصـــــاب است خدا میداند
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هرکسی درپی تأمین معاشی ناچیز
دائماًدرتب و تاب است خدایا توبه
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به گِردِ لانه نداردحصارِ امن ودُرُست
حریمِ خانه نمــــایان ، دلم به درد آمد
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هست حامی منتظر،تابشنود
از زبانِ عاشقی معنــای عشق
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به لب نامش،به سینه مِهردارم
در اوصافش هزاران شعر دارم
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بساززندگی ات رابه دست خود حامی
نگو که قسمت مابود وکارِ تقدیر است
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یک نَفَرجان دهدوآن دگری ثروت را
زخمها باز نصیبِ بینوا شد افسوس
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افتخاری نیست بالاتر زِعشق
ساحـــلی آرام و زیباتر زِعشق
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بازتــــابِ کارِ ما ، تقــــدیرِ ماست
حاصلِ هرکَس،هرآنچه کرد،شد
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سایهات،آسایهیامنِ مناست
سروِ نازِ خـوشقد و بالایِ من
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خدایاشُکر دلشادم نمودی
زِ قیـــدِ وقت آزادم نمودی
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جو گرفته جای گندم را، دریغ
این سیه بازارکِی سَرمی رسد
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نیست حامی رادگر،شوقی برای عاشقی
یک نَفَس دلــــــدادگی از مِهــر دلـــدارم بده
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زِ دیـده ی اشکبارم آه می ریزد
زِ رو عرق ازشرم گناه می ریزد
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حرف هادرسینه دارم،یارمی فهمدفقط
رازِ ما را مَحــرم اســـــرار می فهمد فقط
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زمین لرزیدو دل لرزان تر ازآن
همه ، آوار و دل ویران تر ازآن
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دل که باشدبی محبت یارمی خواهدچه کار
سنگ باشدجای دل،دلدار می خواهد چه کار
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ایفدایتهمهی هستیمن،درهمهعمر
قلبمن،جز بهتو،بر رویکسیوانشود
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درجملهیاشعارکهتقدیمیحامیاست
جز نامقشنگتو ز کسهیچخبرنیست
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بستانِ وجودم شده دلکش زِ حضورت
عطرِخوشِ ریحانِ منی، من سَنَ قربان
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درغزلهاچونکه آمدنامِ او
شعرِحـامیراچهپُرتأثیرکرد
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عشق حامیهمهجانقلِمحافلشدهاست
شعرِ او زمزمهیمرغخوشالحانکِه شد
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کـران تا کـران آبیِ آسمان
غروبِ دلانگیزِاینجاومن
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سخن خوباستبادلدارباشد
سَرَت بر شــــانههایِ یــار باشد
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گر غمی در دلِما بود ، هزاران در او
حلقهیِاشکدرآنچشمِسیاهی،گاهی
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هست گُلاندام فراوان به شهر
پاکدلی کو،چـو حُسینای عشق
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شدپهنهی دشتپُرگلِآبیوسرخ
سرمستیِ گل،شکـوفه باران آمد
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در خوابِ پریشان شدهای سخت اسیرم
کابوسِ عجیبیاستکهرؤیاشدنینیست
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با ما سخنی بگو که دلتنگ شدیم
باکهنه غرورِخویشدرجنگشدیم
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چشمخشکیدبهراهیکهرسدخواهانی
کو در آن لحظه٬ زلیخای خریدار٬دریغ
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طاقتمطاقشدازغصهیبیهمنَفَسی
نهدلی هستنه دلــدار نه فریادرسی
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آهِ جگـــر ســـوز شــده کارِ من
اشکشدههمدموغمخوارِمن
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گریوسفِ مصرِعشق گَردی٬حـامی
تنهاییِ قعرِچاه٬خیلی خوب است
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ای گُلِ زیبایِ من٬ای جانِ من
باد زِ حامی به توصدهادرود
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تا به ابــد ٬ نامِ تـــو پاینـــــده باد
عشقِ تو درعمقِ دلم زنــده باد
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حــــامیِ غمزده را ٬ در این وضـــع
شعرِنابیچوشِکَرنیستکهنیست
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در کوچهی اشعــــارِ غریبانه ی حامی
تنهاستصدایقدمت٬رهگذرینیست
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بر گلشنِ زیبــــا ننهم پــــای که بی تو
ازمنظرِحامیچوبیابانوسراباست
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کاشکی برگردد ٬ روزهـــایِ عالی
بهترین هارفتند٬جایِ آنان خالی
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ادعاها شدهبسیارنصیحترا٬حیف
ازبزرگان زِسَرِشوق شنیدن گم شد
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کَسی حالابه فکرِدیگری نیست
ویا در خانهها نان آوری نیست
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هستیِ حامیبهنفَسهایاوست
عشق و وفایش شده گنجینهام
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چونکهبا چشمِخریداری تمـاشامیکُنم
خودنماییمیکُندهرگوشهیبازارِعشق
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زدچشمِحامیرابپوشانرویماهت
آخـــر دگـــر ٬ چشمِ تماشـــــاگر ندارم
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دلبرِ زیبا رخِ جادو کلام
غم بزدایـد زِدلِ مامدام
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کام حامی شده خشک وزده تبخال لبش
جرعه ای آب از آن چشمهیزمزمخواهم
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بیعشـقدلتخانهیبیپیشَوَدحامی
راهیاستکه سودی بجز آوار ندارد
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ای که ازحور وپری زیباتری
در مــرامِ عاشقی جــادوگری
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دردِیک تَن دردِکُلِّ شهربود
ناامیـــــدی با اهالی قهربود
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کاش آیدگلِ زیبای من ازپرده برون
تا زِدل غصه و از دیدهیِمن نَم ببرد
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حالچشمانِتَریماندهویکقلبِکباب
نگــــران ٬ منتظــرم بهرِ دعــایت ٬ مادر
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کاش در این روزهای انتظار
جزغزل درشعرِحامیهمنبود
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چهچهبلبلبهرویِشاخسار
شُــــرشُــــرِ آبِ زلالِ آبشـــــــار
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