شنبه ۵ آبان
شعر موج نو
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به آسانی فراموش نمیشود...
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و من فقط روسری اش را داشتم...
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نیست جایی از من
که عشق او را تراوش نکند...
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زیر این آسمان آبی...
کجا می گریزی؟!
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او چه داند...
ارزش میوهٔ عشق را؟!
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شاید این اخرین شعرمه از تو برای تو بخونم
این اخرین اقرارمه از دلدادگی در گوشت بگویم
من کجا
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و سالهاست برای آزادی اش ن ذ ر می کند
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دلشوره های
دم دمای پاییز...
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گورم را
کنار گورش کنده ام...
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جز رویاهایت...
به چیزی فکر نکن
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فروزان!
چه زیبا می رقصی...
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همه چیز زمزمه خیال بود
همه چیز سراب شادی بود
خاطراتم را همه را قمار کردم
و یکی یکی باختم به خودم
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چهره ات را
دیگر به یاد نمی آورد!
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آنچه امشب
از پنجرهٔ اتاقت می بینی...
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گفت باید برایم
شعری بگویی...
من بسیار آرزومندت بوده ام...
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هردو میخواستیم...
فدای دیگری شویم
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اگر بیرون نیایند؛
فروپاشیم حتمیست
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چند وقت پیش
زنی را دیدم...
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بعد از این فاصله ها
پشت یک عمر،خزان
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گفتم دختر جان
یک بار دیگر اسمت را بگو...
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در سیاهی های شب
اندوهِ این مرداب ها
میبرَد پرواز را از یاد ما
میشود پی در پی آغازی دگر
هر غمی را
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مجوز بده آزاد شوم
دل من بند نفسهای تو زندانی شد
سالها من و یک بوته ی رَز
دیوار به دیوار زما
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چه کسی
او را این چنین آفریده؟
خدا باید یک نابغه باشد...!
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مردی میان دو راهیِ
عشق و غرور...
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اگر گوش می دادم؛
بهترین شعر را برایتان مینوشتم!
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زیبارویان همیشه...
کمی آزار هم دارند...!
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خوب باشیم. و خوب ببینیم. تا خوب باشند و خوب ببینند.
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آن عاشق...
سال هاست چشم به راه است
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میترسیدم...
از قولش پشیمان شود!
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برای خوب شعر گفتن؛
باید مستِ مست باشی
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اندوهگین
مثل درخت زیتونی در بیابان
و نگران
مثل پرتقالی افتاده در اتوبان
از بار پیرمرد میوه فروش
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می بینم پابِماهی...
ای شعر زیبا!
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آنها هم فهمیده اند...
او رفته!
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همه میدانند
غربت...
چه غمِ جان گدازی دارد...
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از فرشتهٔ مرگ
خواهشی کردم...
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اولین دوچرخهٔ روستا را...
من داشتم!
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با اجازهٔ خودت...
یک مهره جلو میفرستم
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تهوع شدید...
در یک لحظه ایِ بالا آوردن!
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هم اکنون...
فرزندت را به دنیا می آورم!
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قلبم تاصبح برایش شعر گفت...
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اگر هردویمان
قاصدک بودیم...
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ریشه اش در قلبمان بودُ
از خون پر عشقمان تغذیه می کرد!
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ومن چون پرنده ای
بی آشیان
تا به ابدیت در کف دستان
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سبب همنشینی ما...
زنیست بسیار زیبا!
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من خاری هستم؛
بالای کوهِ آدوین
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