سه شنبه ۱۸ دی
اشعار دفتر شعرِ بلوط تلخ شاعر همایون طهماسبی (شوکران)
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بهار موسمِ، زِنَه بی یِنَه
فصل رستاخیزِ، مُرده دیی یِنَه
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تاوْوِسوْ فصلِ، اَفتاوْ وْ گرما
فصلِ مهمونیِ، دار وْ درختیا
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فصلِ بَلْگ ریزوْ اوْما وِ نَوَرَد
پائیز رَسِسَه، وا رخساره زرد
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زِمِسوْ فصلِ، یخ و یخ بَنوْ
دَ بَن نِمُوْوَه، دِنوْ ریی دِنوْ
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کُریا ایی دوره، سی چی چنینَن؟
مِی شوْ چی چوله و جوجه تیغی یَن!
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بعضی دخترو، چَنِی خود سَرَن!
پِتْیان موْوِرَن، مِری عنترن!
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دِ دَسِ جورِ ایی فلک، داد مِی یارِم وِ آسِمو
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خدا آیِمِن، خلق کِرد، دِ خَرَّه
ناوْوِنِم؛ دونِس، آخِرِش شَرَّه؟
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می ها وا یِه گَل، بُوْوِم وِ هوْم را
وا یِه گروهی، روْوِم وِ صحرا
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جِفتِی تفنگ کَل، خدا وِت بِه یَه
کهنه و کارکِرده، دَ گَن تِر نِه یَه
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هرکس گَپ ناره، گَپِیْ بَخَرَه
ایْما شوْنیاموْن، بی ریْم دِ خَرَه!
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خوْشال وِ قدیم وْ چادرنشینی
نه آپارتمان وْ کرانشینی!
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گُذرِم اوْفتا، وِ کوْه وْ کَمَر
بُری گُنج دیی یِم، رنج شو بی ثمر
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خوْتِن بَکُشی وْ سی یِت توْوْ نَکَن
تُف کوْ وِ دَسیات، که بی نِمَکَن
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کِرا نشینی؛ تف دِ مرامت!
کِرانشینی؟ سگ نُوُ وِ حالت!
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اگرخدا نِزیکَه، چی رگِ گردن؟
سی چی وِ دورِ، کعبه می گردن؟
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مِیْها سیْت بوْوِم، سابقه دُوُوْوِن
هر چی دِش موْوَن، همه دِرُوُوِن
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مرض جدیدی، دچار موْ بِی یَه
چِنی نِهاتی، بشر نِهْ ایی یَه
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مَغَلی داشتم، زرنگ و زبل
همیشه گُل بی، وا تَشِ اِزْگِل
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یِه روز پائیزی، رَتِم وِ مرغزار
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