سه شنبه ۱۹ فروردين
اشعار دفتر شعرِ یک عمر دلتنگی شاعر مهدی نعیم (خیال)
|
|
گلی که در هوسِ نو بهار میمیرد
میانِ حسرتِ این انتظار میمیرد
شکست خورده یِ جنگی که نابرابر بود
تما
|
|
|
|
|
قانونِ جذب، کاشفِ بودش، نگاهِ توست
|
|
|
|
|
تو ماه بانوي ِعشقي،به شهر ِروياها
|
|
|
|
|
آسمان مالِ من است
مثلِ چشمِ تو که آبی به تنش می آید
|
|
|
|
|
ای کاش انتهایِ شبم را سحر نبود
|
|
|
|
|
این جا هوا برایِ تنفس نمانده است
|
|
|
|
|
ای روزگار، تا به کجا می کشانیم؟
|
|
|
|
|
بی تو خیال، آخرِ خطِّ جوانی است
|
|
|
|
|
من ماندم و تمامی این فصل کاشها
|
|
|
|
|
دیوان خاطرات خودت را ورق بزن
شاید مرا دوباره به یادت بیاوری
|
|
|
|
|
رمقی نیست همان صید به خون غلطانم
|
|
|
|
|
گمشده دارم و این دوری او پیرم کرد
|
|
|
|
|
هستم ولی هوای نبودن گرفته ام
|
|
|
|
|
این جا بدون تو همه جایش جهنم است...
|
|
|
|
|
بهار گل رسید اما بهار من نمی آید
|
|
|
|
|
پژمرده کرد لاله عمرم خزان غم
|
|
|
|
|
یه حرفی زدم محض رد گم کنی
که شاید نخوای سایه تو کم کنی
|
|
|
|
|
تنها دو پلک مانده به آغازِ ابتدا
|
|
|
|
|
بزن این شیشه ی احساس مرا داغون کن
|
|
|
|
|
شبیه آینه ای در جدال با سنگی
شکسته پشت من از ضربه ی بد آهنگی
|
|
|
|
|
به پاس خاطره هایی که از تو لبریز است
|
|
|
|
|
این انتظار بوی ِ تعفن گرفته است
|
|
|
|
|
گله ای نیست که با آینه ها همرازم
|
|
|
|
|
ای مهربان خدای من مهربان کجاست
|
|
|
|
|
به نگاه ِ تو می رسد انگار، انتهای ِ تمام ِ پنجره ها
|
|
|
|
|
در ابتدای ِ شروع ِ خط ِ سرآغازم
|
|
|
|
|
سالی گذشت و بار دگر زاده میشوم...
|
|
|
|
|
امشب به ياد خاطره هامان قدم زنان
برگردو پيش اين دل تنهاي من بمان
|
|
|
|
|
بغضم چه تلخ مي شكند با خيال ِتو
|
|
|
|
|
با درود بر روان پدر تار ایران استاد جلیل شهناز
|
|
|
|
|
در انتظار آمدنت مانده ام هنوز
|
|
|
|
|
در انتظار آمدنت پیر میشود
|
|
|
|
|
از من بگير اين حالت ِافسردگيها را
|
|
|
|
|
این انتظار، خانه ی دل را خراب کرد
|
|
|
|
|
بی تاب لحظه های حضورت نمیشوم
|
|
|
|
|
لحظه ها را با تو بودن،دل به دست توسپردن
|
|
|
|
|
ديگر غروب بوي جدايي نميدهد
|
|
|
|
|
دوباره موقع رفتن رسيد بايد رفت
|
|
|
|
|
مردي به وسعتِ منِ تنها نديده اي
|
|
|
|
|
یاغمور یاغان زمانیده سنسیز قالانمارام
|
|
|
|
|
دارد مرا نگاهِ تو بيمار ميكند
|
|
|
|
|
خسته ام از ضربه هاي ِبي حد ِگرداب ها
|
|
|
|
|
و در اين عرصه ي تنگ
با همه سختيها
پي فانوس رهايي از بند
|
|
|
|
|
غم ها مرا به مسلخ ِ شب مي بَرد هنوز
|
|
|
|
|
یاد ِ چشم ِ تو مرا از خودم میگیرد...
|
|
|
|
|
راه طولانی و من
خسته ی راهی پرخون
|
|
|
|
|
به تو می اندیشم به تو ای خوبترین حادثه ی زندگیم
|
|
|
|
|
بي توخوشبختي ازاين خانه غريبانه گريزان ميشود
|
|
|
|
|
امشب به پيش ِمن تك و تنها بيا خدا
|
|
|
|
|
یلدا بیا و دست ز دامان شب بکش
|
|
|
|
|
زمانی که نباشی معنی ِ پرواز، نابودیست
|
|
|
|
|
تكرار ِجهل مُد شده اينجا ميان ِما ديگر بس است اين همه فتوا ميان ِما اين لحظه هاي ِدرد و پراز خ
|
|
|