پنجشنبه ۱ آذر
اشعار دفتر شعرِ عاشقانه های ارتعاش... شاعر کرمانی ارتعاش
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شبـی از آسمـان مهتـاب میریخـت
به سیمای زمین سیماب میریخـت
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اِی ستـاره هـای آسمـان؛
کـه مثلِ هـر نگینِ روی دامنِ عزیزِ مـن،
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سر این سفره صبحانه مگر...
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چه ناباورانه تو را دوست دارم
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بـِـه
عشـق
و محبـت
و صِـداقـت
و جن
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خوب من...
محبوب من...
تو را مثل وطن من دوست دارم.
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خـدایـا
خـالقـا
پـروردگـارا...
ستایش میکنم صُنعِ شما را
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رفته رفته
میزند سپیده از شب سیاه
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همیشــه
قطـره قطـره اشکهـای بـی فـروغِ مـن،
شبیهِ تک تکِ ستاره های پر فروغِ آسمان،
کـه میچکــد ب
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من آن مجنون صحراگرد بی سامان شبگردم
تویی...
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بانوی
زیبای
غزلهای
شاعرانه ای
دیوان
شعر
غزل
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دلتنگم و دلگیرم و غمگینم و خاموش
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میشـود در شب گیســـوی تــو از یـار سرود
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