جمعه ۲ آذر
اشعار دفتر شعرِ آوازهای خاموش شاعر آرزو نوری
|
|
صدفها/ مارپیچ های غمگینی هستند
|
|
|
|
|
نه به آفتاب می مانی/ نه به ابر ...
|
|
|
|
|
آخر این جاده/ خانه من است ...
|
|
|
|
|
جنگل به دریا سلام داد ...
|
|
|
|
|
تهران/ همیشه مسافر است...
|
|
|
|
|
هوایی می شوم/ حوالی میدان آزادی
|
|
|
|
|
در ابتدای فصل کوچ / جدا می شود ...
|
|
|
|
|
درخت پیر / خروپف می کرد ....
|
|
|
|
|
ابر/ دستاویز خوبی است ...
|
|
|
|
|
جنگ بهانه خوبی بود/ برای تفنگها...
|
|
|
|
|
مادرم می گوید/ زن که باشی ...
|
|
|
|
|
سی و سه بار گریه می کنم/ تا راس ساعت دلتنگی...
|
|
|
|
|
لبالبم/ از لبه های پرتگاه....
|
|
|
|
|
وقتی عشق/14 ساله بود ....
|
|
|
|
|
سوختنیها را بیاور/ آتشی به پا کن ...
|
|
|
|
|
من ملکه ام/ پادشاه من....
|
|
|
|
|
گاهی وقتها پیش می آید ....
|
|
|
|
|
پاییز/ باغبان پیری بود...
|
|
|
|
|
نقطه کور / گره می خورد/ در خیالات خودش
|
|
|
|
|
پرندهای میآورم تا درسکوت خانه آواز بخواند اگرچه هیچ گاه نخواهد گفت: «عشق تو م
|
|
|