چهارشنبه ۵ دی
اشعار دفتر شعرِ زندگی شاعر حسین نوریان
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گریه کن ای آسمان امشب غریبی ...
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من آن آدم برفیم که باعشق مرا ساختی وحالا آب و گِل رهگذرانم
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روباه بعداز سی سال دوباره به سراغ زاغ میرود وچنین میگوید
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زین روزنه هستی که در آن گام نهادیم
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ابراهیم دگر بسوی قربان نرود
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تقدیر دلم در گرو یک یا حسین است
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گر تیشه زند بر دل کوه فرهاد
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در دایره عشق تو من تیمور لنگم
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امروز نگین انگشتری شاه داری
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فکر و ذکرم همه آنست که در کوی تو باشم ای دوست
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علی را که خدایش آفريده است
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ای دل به ریا و زر جدا باش
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از زهدفروشان نا خرد نا اهل بریدم
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ز شیطان دوری کن ای اهل ادم
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ترسم آن روز تو آی نباشد اثرم
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حسین(ع) من گلستان ادب بود
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سخت در رنج عذابم چه سودا کنم
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اگر روزی رسد دستم به آن فرش اهورایی
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هرشب تا سحر تاب ندارد دلم
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